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मुस्तफ़ा आप के जैसा कोई आया ही नहीं / mustafa aapke jaisa koi aaya hi nahin | By Shamim Raza Faizi

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मुस्तफ़ा आपके जैसा कोई आया ही नहीं, आता भी कैसे जब अल्लाह ने बनाया ही नहीं. कोई सानी न है रब का न मेरे आक़ा का एक का जिस्म नहीं एक का साया ही नहीं मुस्तफ़ा आपके जैसा कोई आया ही नहीं, आता भी कैसे जब अल्लाह ने बनाया ही नहीं. कोई सानी न है रब का न मेरे आक़ा का एक का जिस्म नहीं एक का साया ही नहीं क़ब्र में जब कहा सरकार ने ये मेरा है फिर फ़रिश्तों ने मुझे हाथ लगाया ही नहीं ज़ुल्फ़ वल्लैल है रुख़ वद्दुहा मा-ज़ाग़ आँखें इस तरह रब ने किसी को भी सजाया ही नहीं लौट कर आ गया मक्के से मदीना न गया कैसे जाता तुझे आक़ा ने बुलाया ही नहीं जब से दरवाज़े पे लिखा हूँ मैं आ'ला हज़रत कोई गुस्ताख़-ए-नबी घर मेरे आया ही नहीं मुस्तफ़ा आपके जैसा कोई आया ही नहीं, आता भी कैसे जब अल्लाह ने बनाया ही नहीं. जब तलक पुश्त पे शब्बीर रहे ऐं फैज़ी सर को सजदे से पयम्बर ने उठाया नहीं शायर-ए-इस्लाम: हज़रत शमीम रज़ा फ़ैज़ी नअ'त-ख़्वाँ: हज़रत शमीम रज़ा फ़ैज़ी

शहर-ए-तयबा का वो बाज़ार बड़ा प्यारा है / Shahr-e-Tayba Ka Wo Bazar Bada Pyara Hai | by gulam gaus gazali

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शहर-ए-तयबा का वो: बाज़ार बड़ा प्यारा है. हम ग़ुलामों का ख़रीदार बड़ा प्यारा है. रोज़ कहती है मदीने में उतर के जन्नत या-नबी आप का दरबार बड़ा प्यारा है देख कर कहते थे सिद्दीक़ को मेरे आक़ा ऐं सहाबा येह मेरा यार बड़ा प्यारा है यूँ तो इज़हार-ए-मुहब्बत है किया कितनों नें ऐं बिलाल आप का इज़हार बड़ा प्यारा है उन के गुस्ताख़ को मारा है छपी है येह ख़बर वा-क़ई आज का अख़बार बड़ा प्यारा है बंधने वाले हैं मोहब्बत के अमामे सर पर आज का मौक़ा-ए-दस्तार बड़ा प्यारा है शहर-ए-तयबा का वो: बाज़ार बड़ा प्यारा है. हम ग़ुलामों का ख़रीदार बड़ा प्यारा है ऐं ग़ज़ाली जो छुपाएगा हमें महशर में वो: वसी दामन-ए-सरकार बड़ा प्यारा है न'अत-ख़्वाँ: हज़रत ग़ुलाम ग़ौस ग़ज़ाली

जो सबसे अलग सबसे हसीं सबसे से है प्यारा | आका़ है हमारा मौला है हमारा / jo sabse alag sabse hansi sabse hai pyaara | aaqa hain hamara maula hai hamara

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  आका़ है हमारा मौला है हमारा आका़ है हमारा मौला है हमारा जो सबसे अलग सबसे हसीं सबसे से है प्यारा आका़ है हमारा मौला है हमारा. आका़ है हमारा मौला है हमारा कहते हैं जिसे आमिना बी'बी का दुलारा आका़ है हमारा मौला है हमारा आका़ है हमारा मौला है हमारा सूखी हुई लकड़ी को जो तलवार बनादे इंसान तो इंसान दरख्तों को चला दे उंगली के इशारे से करे चांद दो टुकड़े डूबे हुए सूरज को जो बुल वाले दोबारा आका़ है हमारा मौला है हमारा. आका़ है हमारा मौला है हमारा वो मालिक-ओ-मुख़्तार हैं मुख़्तार हैं मुख़्तार ऐसे मेरे सरकार हैं सरकार हैं सरकार खुद फाक़ा क्या उसने मगर सब को खिलाया बेवा-ओं-यतीमों को कलेजे से लगाया एक दूध के प्याले मैं ही सत्तर को पिलाया करता है मदीने से जो दुनिया का नज़ारा आका़ है हमारा मौला है हमारा. आका़ है हमारा मौला है हमारा वो: जिसके सिहाबा भी सितारों की तरहा है और आल-ए-नबी राज-दुलारों की तरहा है हैं जितने मुखालिफ वो: कवारों की तरहा है हम लौग दीवाने है लगा-एंगे यह नअरा आका़ है हमारा मौला है हमारा आका़ है हमारा मौला है हमारा सर काट भी डालोगे तो दीवाना कहेगा जो कहदिया मौला ने वही होके रहेगा महशर

आक़ा नें मदीने से जिसे है यहाँ भेजा | ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा / Aaqa ne madine se jise hai yahan bheja | Khwaja Mera Khwaja | Tasleem Raza Barailvi

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  ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा. आक़ा नें मदीने से जिसे है यहाँ भेजा आने से जिसके कुफ्र का दहला है कलेजा ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा. वो: हिन्द के सुलतान हैं वोः हिन्द के सुलतान ख़्वाजा मेरी जान हैं ख़्वाजा मेरी जान ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा. लाखों को जिसने कलमा पढ़ाया यहाँ आकर कासे में जिसने रख दिया पूरा अना-सागर ऊढ़ ऊढ़ के जिसकी खूब खड़ाओ पड़ी सर पर बदला नहीं जिसका किसी हाल में लहजा ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा. वो: हिन्द के सुलतान हैं वोः हिन्द के सुलतान ख़्वाजा मेरी जान हैं ख़्वाजा मेरी जान वोः हमको खिलाते हैं वही हैं हमें पाले है किस में इतना दम हमें भारत से निकाले हम सब की ज़मानत तो है ख़्वाजा के हवाले अजमेर की धरती पे हमारा तो है राजा ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा. तू भी ऐं नज्दी शान से भारत में रहेगा तेरा भी तार तार ग्रेबान सिए गा फिर तू भी मुहब्बत के हंसी जाम पिएगा तू भी शह-ए-अजमेर के दामन में समाजा ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा, ख़्वाजा मेरा ख़्वाजा. वो: हिन्द के सुलतान हैं सुलतान है अब भी इस मुल्क की वोः शान थे और शान ह

जो अहल-ए-खिरद थे उन्हें दीवाना बनाया | ख़्वाजा है हमारा मेरा ख़्वाजा है हमारा / Jo ahl-e-khirad the unhe deewana banaya | Khwaja hai hamara Mera Khwaja hai hamara | by Muhammad Ali Faizi

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ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा जो अहल-ए-खिरद थे उन्हें दीवाना बनाया अजमेर में ख़्वाजा ने करिश्मा येह दिखाया सागर के भरे पानी को प्याले में मंगाया साबित क्या पानी पै भी कब्ज़ा है हमारा ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा जब आरज़ी राजा के बढ़ा ज़ुल्म का चर्चा फिर अब्र-ए-करम शहर-ए-मदीना से जो उठा अल्लाह के महबूब ने भारत जिसे भेजा भारत की ज़मी बोली यह राजा है हमारा ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा एक रोज़ मक़ाबिल में वो: जेपाल जो आया जादू से उड़ा और फिज़ा में कहीं खोया ख़्वाजा की खड़ाओ ने सबक़ जाके सिखाया फिर कलमा पढ़ा बोला येह आक़ा है हमारा ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा एक और करामात सुनोंं एक दिन हुआ ऐसा पीतल की बनी गाय से भी दूध निकाला यह देख हजारों ने वहीं पढ़ लिया कलमा सब ने कहा बस एक ही दाता है हमारा ख़्वाजा है हमारा, मेरा ख़्वाजा है हमारा तैबा से बहार आई है अजमेर चलो ना रहमत की घटा छाई है अजमेर चलो ना ख़्वाजा की छटी आई है अजमेर चलो ना अजमेर भी  जावेद  मदीना है हमारा नअत-ख्वां: हज़रत मुहम्मद अली फैज़ी

अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया / Ajmer Bulaya Mujhe Ajmer Bulaya | by zaid attari

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अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया. अजमेर बुला कर मुझे मेहमान बनाया. हो शुक्र अदा कैसे कि मुझ पापी को, ख़्वाजा अजमेर बुला कर मुझे दरबार दिखाया अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया. अजमेर बुला कर मुझे मेहमान बनाया. सुल्तान-ए-मदीना की मोहब्बत का भिकारी बन कर मैं शहा, आप के दरबार में आया दुनिया की हुकूमत दो न दौलत दो न सरवत हर चीज़ मिली जाम-ए-मोहब्बत जो पिलाया क़दमों से लगा लो मुझे क़दमों से लगा लो ख़्वाजा ! है ज़माने ने बड़ा मुझ को सताया डूबा अभी डूबा मुझे लिल्लाह सँभालो सैलाब गुनाहों का बड़े ज़ोर से आया हो चश्म-ए-शिफ़ा अब तो, शहा ! सू-ए-मरीज़ाँ इस्याँ के मरज़ ने है बड़ा ज़ोर दिखाया सरकार-ए-मदीना का बना दीजिए आशिक़ येह अर्ज़ लिए शाह कराची से मैं आया या ख़्वाजा करम कीजिए, हों ज़ुल्मतें काफ़ूर बातिल ने बड़े ज़ोर से सर अपना उठाया अजमेर बुलाया मुझे अजमेर बुलाया. अजमेर बुला कर मुझे मेहमान बनाया. अत्तार करम ही से तेरे जम के खड़ा है दुश्मन ने गिराने को बड़ा ज़ोर लगाया नअत-ख़्वाँ: हज़रत ज़ेदअत्तारी