जिसपे आक़ा का नक़्श-ए-पा होता | मेरा सीना वो: रास्ता होता / jispe aaqa ka naqsh-e-pa hota | mera seena woh raasta hota | By Saif Raza Kanpuri
जिसपे आक़ा का नक़्श-ए-पा होता, मेरा सीना वो: रास्ता होता. खाते होते मेरे हुज़ूर ख़जूर और गुटलियाँ मै स…
जिसपे आक़ा का नक़्श-ए-पा होता, मेरा सीना वो: रास्ता होता. खाते होते मेरे हुज़ूर ख़जूर और गुटलियाँ मै स…
मुस्तफ़ा आपके जैसा कोई आया ही नहीं, आता भी कैसे जब अल्लाह ने बनाया ही नहीं. कोई सानी न है रब का न मे…
शहर-ए-तयबा का वो: बाज़ार बड़ा प्यारा है. हम ग़ुलामों का ख़रीदार बड़ा प्यारा है. रोज़ कहती है मदीने में उत…